ये मत समझो एक दूजे में बेहद प्यार है तो इसमें कभी जुदाई नहीं है हजारों इश्क करने वाले लुट गए बेवफाओं को ठीक करने की कोई दवाई नहीं है। Latest shayari यह शायरी 2025 में लिखी गई है लेटेस्ट शायरी , जब दिल की सारी बात कह दिया वो मुझे अपने इश्क में मजबूर समझ बैठे। उनके बिना अधूरा हूं जब एहसास हो गया बस यही से मेरे इश्क का काम तमाम हो गया। तन्हाई बेवफाई कैसी भी हो वक्त ऐसा मरहम है जब बदलता है तो गहरे से गहरा ज़ख्म को भर देता है। इश्क में टूटे दर्द-ए-दिल की, दवा की गोली नहीं मिलती क्योंकि यह भरोसे और भावनाओं की बीमारी है।
तुम आखिर चली ही गयी ये शहर छोड़कर
याद करने के सिवा कुछ न बचा सामो पहर
तुम दूर चली गयी फिर भी तो क्या
याद तुम्हारी दिल से जाती नहीं
मै भूलाने की तुमको कोसिस किया
मगर हर कोसिस रहा बे असर
जिस शहर में तुम रहती वो प्यारा शहर
मुझको बुलाये घड़ी दर घड़ी सामो पहर दोपहर
तुमने कहा था चली आउंगी ये शहर छोड़कर
मै पागल था कुछ भी समझा नहीं
दूर हो तो क्या फिर भी सनम प्यास घटती नहीं
मुझको दिया सनम क्यू इतना प्यार
जी चाहे यूही मिले बार बार
मगर इस बदनसीब के क़िस्मत में कहा होगा नसीब
मेरे दोस्त मेरे यार मुझको दिया हद ज्यादा प्यार
जी चाहे यूही मिले बार बार
तुम आखिर चली ही गयी ये शहर छोड़कर
याद करने के सिवा कुछ न बचा सामो पहर
याद करने के सिवा कुछ न बचा सामो पहर
तुम दूर चली गयी फिर भी तो क्या
याद तुम्हारी दिल से जाती नहीं
मै भूलाने की तुमको कोसिस किया
मगर हर कोसिस रहा बे असर
जिस शहर में तुम रहती वो प्यारा शहर
मुझको बुलाये घड़ी दर घड़ी सामो पहर दोपहर
तुमने कहा था चली आउंगी ये शहर छोड़कर
मै पागल था कुछ भी समझा नहीं
दूर हो तो क्या फिर भी सनम प्यास घटती नहीं
मुझको दिया सनम क्यू इतना प्यार
जी चाहे यूही मिले बार बार
मगर इस बदनसीब के क़िस्मत में कहा होगा नसीब
मेरे दोस्त मेरे यार मुझको दिया हद ज्यादा प्यार
जी चाहे यूही मिले बार बार
तुम आखिर चली ही गयी ये शहर छोड़कर
याद करने के सिवा कुछ न बचा सामो पहर