रक्षाबंधन, raksha Bandhan shayari 2025. रक्षाबंधन भाई बहन के बीच अनमोल निस्वार्थ अटूट प्रेम का उत्सव/त्यौहार है इस दिन बहन अपने भाई को मिठाई खिलाती है और कलाई पर रेशम का धागा बांधती हैं जिसे राखी कहा जाता है बदले में भाई अपनी बहन को उपहार देता है और बहन की जीवन भर रक्षा करने का वचन देता है। रक्षाबंधन 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। रक्षाबंधन शायरी ये रही रक्षाबंधन शायरी पढ़ने जारी रखें। राखी का त्यौहार भाई बहन का प्रेम अटूट होता है ये राखी का त्यौहार इस रिश्ते को और गहराई से जोड़ देता है प्रेम का धागा भाई की कलाई पर सुशोभित यह सिर्फ रेशम का धागा नहीं है जो भाई की कलाई पर सुशोभित है बहन की सुरक्षा आजीवन यह प्यार का अनोखा संगम है धागों में बंधा प्रेम धागों में बंधा प्रेम यह अनमोल रिश्ता है जीवन की सच्चाई से जुड़ा बेजोड़ रिश्ता है
मैं तुम्हारे काबिल नहीं था जाने क्या तुम सोच कर मुझको अपनाए मैं भिखारी था सनम इस दिल के सिवा तुम कुछ भी ना पाए, मन की सुंदर, तन की सुंदर, नजर में ना समाए, उस रब को करू सलाम हम तुमको पाए तुम्हारा प्यार यह तुम्हारी मर्जी जीना सिखाए बस जिंदगी भर यूं ही रहना अपनाए तुम्हारा यह दीवाना होता जाए तुम्हारे सिवा कुछ भी ना चाहे करूं मैं क्या दूं मैं क्या समझ कुछ भी ना आए ऐसे में क्या क्या करूं खुद ही बतलाएं मन बहका-बहका जाए खुशी है दिल के अंदर हलचल मचाए मै तुम्हारे काबिल नहीं था जाने क्या तुम सोच कर मुझको अपनाए मैं भिखारी था सनम इस दिल के सिवा तुम कुछ भी ना पाए खड़ी हो छुप-छुप क्यों गुमसुम क्यों कुछ तो बोलिए दिल का चैन दिल का करार सब ले लिए बेचैनी बढ़ती जा रही है तुम्हारे बिन कैसे जिए कसम से ये सनम दिल ले लिए तो क्या हुआ चाहे तो जान भी लेले रह सकूंगा ना दूर आपके बिन अकेले तुम आए जिंदगी में जल गए बुझे दिल के लिए